नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फ़रमाया हैं, मैं मोहन अल्लाह पाक के बिना अगर किसी और को अपना दोस्त के रूप में स्वीकार करती तो वह हैं सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम। समोहन मुबारक वह बीस जुमाडल उखरा शरीफ। ख़लीफ़ए रोसूलिल्लाह हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम के पुण्यतिथि। जो इस सालके लिए पवित्र वह बीस जुमाडल उखरा शरीफ के मुताबिक यह मुबारक दिवस हे २३ आषिर, १३८४ शम्सी, वह बीस मार्च २०१७, यौमुल अरबिया (बुधवार). इसलिए सबका ज़िम्मेदारी और कर्तव्य हे उनके जीवनी मुबारक जानना और उनको उचित मोहब्बत करना और उनका पालन करना। और सरकार का ज़िम्मेदारी और कर्तव्य हैं बच्चे की श्रेणी से शुरू करके सबसे ऊपर का श्रेणी तक सब शिक्षा प्रतिष्ठान में पाठ्यक्रम का शामिल करना। और उस दिबोस में सरकारी छुट्टी घोषित करना।
इमामुल अइम्मह, मुहीउस सुन्नाह, कुतुबुल आलम, मुजद्दिदी आजम, क़ैयूमज जमन, जब्बारील औवल, सुल्तानुङ नासिर, जामिउल अलक़ाब, मुजद्दिदी मिल्लत, हबीबुल्लाह,औलादे रोसुल, मौलाना हजरत इमामुल उमम अलैहिस सलाम ने फ़रमाया हे, अफदलुन नस, बा’दाल अम्बिया हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम के असली नाम मुबारक हे हजरत अब्दुल्लाह अलैहिस सलाम। उपानम मुबारक हजरत अबु बकर अलैहिस सलाम, बिशेष लक़ब मुबारक अतीक और सिद्दीक। माननीयो पिता के नाम मुबारक हजरत उस्मान रोदियल्लाहु ता’अला अन्हु। उपानम मुबारक हजरत अबु क़ुहाफ़ा रोदियल्लाहु ता’अला अन्हु। माननीयो माता के नाम मुबारक हजरत सलमा रोदियल्लाहु ता’अला अंह। उपानम मुबारक हजरत उम्मुल खईर बीनते साखर। उन्होंने ‘अमूल फील’ यानी हाथी साल के लगभग ढाई साल बाद ५७२ ईसाई में पवित्र बिल्ङती शान मुबारक (जनम ग्रोहान) प्रकाश किया हैं। उसने सांसारिक उम्र मुबारक मुताबिक नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक स्वल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से लगभग सोवा दो साल के छोटे थे। पवित्र इस्लाम प्राप्त करनेवाले बुजुर्ग लोगों में वही पहला पुरुष हे। उन्होंने पूर्व पुरुष हजतार मुर्राह अलैहिस सलाम के तरफ से नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक स्वल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनका स्व-वंश। सुभानअल्लाह।
नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फ़रमाया हैं, मैं मोहन अल्लाह पाक के बिना अगर किसी और को अपना दोस्त के रूप में स्वीकार करती तो वह हैं सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम। समोहन मुबारक वह बीस जुमाडल उखरा शरीफ। ख़लीफ़ए रोसूलिल्लाह हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम के पुण्यतिथि। जो इस सालके लिए पवित्र वह बीस जुमाडल उखरा शरीफ के मुताबिक यह मुबारक दिवस हे २३ आषिर, १३८४ शम्सी, वह बीस मार्च २०१७, यौमुल अरबिया (बुधवार). इसलिए सबका ज़िम्मेदारी और कर्तव्य हे उनके जीवनी मुबारक जानना और उनको उचित मोहब्बत करना और उनका पालन करना। और सरकार का ज़िम्मेदारी और कर्तव्य हैं बच्चे की श्रेणी से शुरू करके सबसे ऊपर का श्रेणी तक सब शिक्षा प्रतिष्ठान में पाठ्यक्रम का शामिल करना। और उस दिबोस में सरकारी छुट्टी घोषित करना।
इमामुल अइम्मह, मुहीउस सुन्नाह, कुतुबुल आलम, मुजद्दिदी आजम, क़ैयूमज जमन, जब्बारील औवल, सुल्तानुङ नासिर, जामिउल अलक़ाब, मुजद्दिदी मिल्लत, हबीबुल्लाह,औलादे रोसुल, मौलाना हजरत इमामुल उमम अलैहिस सलाम ने फ़रमाया हे, अफदलुन नस, बा’दाल अम्बिया हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम के असली नाम मुबारक हे हजरत अब्दुल्लाह अलैहिस सलाम। उपानम मुबारक हजरत अबु बकर अलैहिस सलाम, बिशेष लक़ब मुबारक अतीक और सिद्दीक। माननीयो पिता के नाम मुबारक हजरत उस्मान रोदियल्लाहु ता’अला अन्हु। उपानम मुबारक हजरत अबु क़ुहाफ़ा रोदियल्लाहु ता’अला अन्हु। माननीयो माता के नाम मुबारक हजरत सलमा रोदियल्लाहु ता’अला अंह। उपानम मुबारक हजरत उम्मुल खईर बीनते साखर। उन्होंने ‘अमूल फील’ यानी हाथी साल के लगभग ढाई साल बाद ५७२ ईसाई में पवित्र बिल्ङती शान मुबारक (जनम ग्रोहान) प्रकाश किया हैं। उसने सांसारिक उम्र मुबारक मुताबिक नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक स्वल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से लगभग सोवा दो साल के छोटे थे। पवित्र इस्लाम प्राप्त करनेवाले बुजुर्ग लोगों में वही पहला पुरुष हे। उन्होंने पूर्व पुरुष हजतार मुर्राह अलैहिस सलाम के तरफ से नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक स्वल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनका स्व-वंश। सुभानअल्लाह।
मुजद्दिदी आजम, सैयिदुना हजरत इमामुल उमाम अलैहिस सलाम ने फ़रमाया हैं हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम के बुजुर्गी (सम्मान, आदर) और फाजिलर कहने की जरूरत नहीं हैं। पवित्र कुरान शरीफ में स्वयं अल्लाह ता’अला ने कई स्थानों में उनकी तारीफ़ किये हैं। उनकी तारीफ में अनगिनत हदीस शरीफ वर्णित किया गया है. हजरत नबी और रसूल अलैहिमुस सलाम के बाद सबसे अच्छा मर्यादा(इज्जत, गर्व, महिमा, गरिमा, शान) की मालिक हैं हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम। मुजद्दिदी आजम, सैयिदुना हजरत इमामुल उमाम अलैहिस सलाम ने फ़रमाया हैं, तिरमिजी शरीफ (हदीस शरीफ का एक किताब) में नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया हैं, जिस जमात में हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम के उपस्थित उपस्थित(हाजिर) होना वहाँ उनके सिवाय किसी और को इममोटी नहीं करना चाहिए। मुजद्दिदी आजम, सैयिदुना हजरत इमामुल उमाम अलैहिस सलाम ने फ़रमाया हैं, आखिरी रसूल, सैयिदुल मुरसलीन, नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पवित्र बिसली शान मुबारक (मृत्यु, मौत) प्राप्त करने से पहले उनके मरिडी शान मुबारक (बीमारी की हालात) प्राप्त करने की हालात में हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम ने १७ वक्त नमाज का इममोटी किया था। आखिरी रसूल, सैयिदुल मुरसलीन, नूरे मुजस्सम, हबीबुल्लाह हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पवित्र बिसली शान मुबारक (मृत्यु, मौत) प्राप्त करने के बाद हजरत सहाबए किराम रोदियल्लाहु टाला अन्हुम ने शीघ्र वे सभी हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम के पास बैयत (प्रतिज्ञा) मुबारक प्राप्त क्या हैं। उसको पूरे मुस्लिम जगत के खलीफा के रूप में चुना गया था और योग्यता और प्रतिष्ठा के साथ सम्पूर्ण दो साल तीन महीना और लगभग दस दिन खिलाफत मुबारक प्रतिष्ठा किया हैं। इस काम समय में उन्होंने सब प्रकार की विद्रोह और साजिश के सभी रूपों को सफलतापूर्वक दमन करके उनहोंने साडी मुस्लिम जहाँ में शांति और अनुशासन वापस लेके आया हैं।
मुजद्दिदी आजम, सैयिदुना हजरत इमामुल उमाम अलैहिस सलाम ने फ़रमाया हैं, उम्मुल मूमिनीन हजरत सिद्दीक अलैहास सलाम उनके सूत्रों अल ओवाकिदी और अल हाकिम ने फ़रमाया हैं, हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम उन्होंने ७ जुमाडल उखरा शरीफ यौमुल इसनैनिल अज़ीमि शरीफ(सोमबार) नहाया था। उसके बाद १५ दिन तक मरिडी शान मुबारक (बीमारी की हालात) प्रकाश किया था। उस समय/वक्त उन्होंने कई वक्त नमाज़ मस्जिद में जेक जमात के साथ नही पड़ सके। ईच १३ सालके २२ जुमाडल उखरा शरीफ यौमुल इसनैनिल अज़ीमि शरीफ(सोमवार) रत में यानी यौमुस सुलसा (मंगलवार) रत में बिसली शान मुबारक (इन्तेक़ाल, मौत) प्राप्त किया हैं। मुजद्दिदी आजम, सैयिदुना हजरत इमामुल उमाम अलैहिस सलाम ने फ़रमाया हैं, मुद्दे की बात यह हैं, महान, मुबारक २२ जुमाडल उखरा शरीफ। खोलीफतु रोसूलिल्लाह, हजरत सिद्दीक़े अकबर अलैहिस सलाम के बिसली शान मुबारक प्रकाश करने की दिवस(पुण्यतिथि)। जो इस साल के लिए २२ जुमाडल उखरा शरीफ, २३ आषिर, १३८४ शम्सी, वह बीस मार्च २०१७, यौमुल अरबिया (बुधवार). इसलिए सबके उत्तरदायित्व और कर्त्तव्य हे उनके पवित्र सवने उमरी मुबारक (जीवन-वृत्तांत, जीवनी) जानना और उनको समुचित/यथाचित प्यार और अनुसरण (पालन करना). और सर्कार का उत्तरदायित्व और कर्त्तव्य हे उनके पवित्र सवने उमरी मुबारक (जीवन-वृत्तांत, जीवनी) बाल श्रेणी से लेके सबसे ऊपर का श्रेणी तक सब शिक्षा प्रतिष्ठान में पाठ्यक्रम का शामिल करना और उस दिबोस में सरकारी छुट्टी घोषित करना।